SuperHero
सोचते तो सभी हैं, वोह भी सोचता था , सोचता नही था..उसे शायद वहम-सा था..,
वहम भी कमाल, की उसे अंधेरे में ज्यादा साफ़ दीखता है.., दिन में तो कभी-कभार आँखे चुंधिया भी जाती है.., पर रात...रात में साफ़ दीखता है....,
पर यह सब शुरू कब हुआ था ?, हुआ यह था की एक बार इनके मुहल्ले में चोरो का शोर बहुत हो रहा था....कुछ लोग अपनी छत्तो पर खाट दरी बीछा कर सोते थे की जगार हो तो सब को उठा दिया जाए , पर इनके शरीफ पड़ोसियों के शैतान बच्चो को इन्हे परेशान करने में बढ़ा म़जा आता था तो वोह भी भेस बना कर पहुँच जाते थे इनके पास, मुंडेर के पीछे चुप जाते और fake plan बनाते, यह भी उनकी बातों में आकर पहरा देने किसी की भी छत पर चढ़ जाते, घरों में झांकते की सब ठीक-ठाक है या नही, कभी-कभार कुछ ज्यादा ही देख लेते थे, इस चक्कर में इनकी बदनामी भी बहुत हुई...,
पर एक दिन इन्होने सच में चोरो को सुन लिया था, और घुप-अँधेरी काली रात में भी इन्होने उन्हें पकड़ लिया था,
तब से लोगो के हीरो बन गए...,
वैसे इसके बाद भी इनकी superpower एक-दो बार काम आई...., और इनको भी अपने साथ के कुछ लोग मिल गए जो या तो इनके जितने ही वेहमी थे या फ़िर जो इनकी बात को seriously ले लेते थे, normal लोगो से इनका वास्ता कम ही हुआ,
पिछले कुछ दिनों से इनका फितूर बढ़ गया था, दिन ढलते ही मुहल्ले की मुंडेरों पर चलते दिख जाते थे, अपने gang से issues और plans discuss करते रहते थे, तो एक दिन इन्होने और इनकी मण्डली ने सोचा, की जो दुनिया इन्होने नहीं देखी और जो इनके बिना ना जाने किन-किन मुसीबतों मैं है, उसे अब बचाया जाए...., तय यह हुआ की शाम होते ही शहर भर के lamppost के bulb तोड़ दिए जायेंगे, और मण्डली के लोग उन लेम्प्पोस्टों के नीचे खड़े हो कर लोगो को रास्ता बताएँगे की कहाँ जाना है,
तो एक शाम, अँधेरा होते ही यह लोग निकल पढ़े...., कुछ lamppost तोड़े, आगे बढे, की मण्डली का एक बंदा चिल्लाता हुआ इनके पास आया की एक lamppost ने जोर की लडाई लड़ी है, गुस्से मैं चिंगारियां निकाल रहा है और छुने पर जोरो का झटका दे रहा है, अगर बाकी lamppost भी इस राह पर निकल गए तो दुनिया खतरे में आ जायेगी, वहां पास में खड़े किसी समझदार को समझ आई, बताया भी, की शायद खंभे में बिजली आ रही है,
पर दुनिया को बचाना एक बढ़ी जिम्मेदारी थी, current leakage या बगावत, जो भी हो lamppost को जीतना जरूरी था, कुछ सोचना जरूरी था,
इन्होने सोचा, और पूरे जोश-ओ-जान से दौड़ पढ़े lamppost की तरफ़......
वहम भी कमाल, की उसे अंधेरे में ज्यादा साफ़ दीखता है.., दिन में तो कभी-कभार आँखे चुंधिया भी जाती है.., पर रात...रात में साफ़ दीखता है....,
पर यह सब शुरू कब हुआ था ?, हुआ यह था की एक बार इनके मुहल्ले में चोरो का शोर बहुत हो रहा था....कुछ लोग अपनी छत्तो पर खाट दरी बीछा कर सोते थे की जगार हो तो सब को उठा दिया जाए , पर इनके शरीफ पड़ोसियों के शैतान बच्चो को इन्हे परेशान करने में बढ़ा म़जा आता था तो वोह भी भेस बना कर पहुँच जाते थे इनके पास, मुंडेर के पीछे चुप जाते और fake plan बनाते, यह भी उनकी बातों में आकर पहरा देने किसी की भी छत पर चढ़ जाते, घरों में झांकते की सब ठीक-ठाक है या नही, कभी-कभार कुछ ज्यादा ही देख लेते थे, इस चक्कर में इनकी बदनामी भी बहुत हुई...,
पर एक दिन इन्होने सच में चोरो को सुन लिया था, और घुप-अँधेरी काली रात में भी इन्होने उन्हें पकड़ लिया था,
तब से लोगो के हीरो बन गए...,
वैसे इसके बाद भी इनकी superpower एक-दो बार काम आई...., और इनको भी अपने साथ के कुछ लोग मिल गए जो या तो इनके जितने ही वेहमी थे या फ़िर जो इनकी बात को seriously ले लेते थे, normal लोगो से इनका वास्ता कम ही हुआ,
पिछले कुछ दिनों से इनका फितूर बढ़ गया था, दिन ढलते ही मुहल्ले की मुंडेरों पर चलते दिख जाते थे, अपने gang से issues और plans discuss करते रहते थे, तो एक दिन इन्होने और इनकी मण्डली ने सोचा, की जो दुनिया इन्होने नहीं देखी और जो इनके बिना ना जाने किन-किन मुसीबतों मैं है, उसे अब बचाया जाए...., तय यह हुआ की शाम होते ही शहर भर के lamppost के bulb तोड़ दिए जायेंगे, और मण्डली के लोग उन लेम्प्पोस्टों के नीचे खड़े हो कर लोगो को रास्ता बताएँगे की कहाँ जाना है,
तो एक शाम, अँधेरा होते ही यह लोग निकल पढ़े...., कुछ lamppost तोड़े, आगे बढे, की मण्डली का एक बंदा चिल्लाता हुआ इनके पास आया की एक lamppost ने जोर की लडाई लड़ी है, गुस्से मैं चिंगारियां निकाल रहा है और छुने पर जोरो का झटका दे रहा है, अगर बाकी lamppost भी इस राह पर निकल गए तो दुनिया खतरे में आ जायेगी, वहां पास में खड़े किसी समझदार को समझ आई, बताया भी, की शायद खंभे में बिजली आ रही है,
पर दुनिया को बचाना एक बढ़ी जिम्मेदारी थी, current leakage या बगावत, जो भी हो lamppost को जीतना जरूरी था, कुछ सोचना जरूरी था,
इन्होने सोचा, और पूरे जोश-ओ-जान से दौड़ पढ़े lamppost की तरफ़......
1 Comments:
the kaun ye akalmand waise..... :D
nice write up...
By
Abhi, At
Thursday, April 23, 2009 12:39:00 AM
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